"मैंने किसी को नहीं दिया हक़ कि कोई मेरे गले की नाप ले" (इसी कविता से) किसी कोण किसी दिशा से देखो पूरी दिखती है नदी। (इसी कविता से) नहीं नारी किसी से कम कोई रोने की ज़ात नहीं माँ से बड़ा कोई भी नहीं 'किसी को और ख़ासकर अपने विरोधियों को स्वीकार करने से बड़ा कोई और मूल्य नहीं हो सकता है।' अर्पण कुमार

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